Name Of Post : 2025 का नया संपत्ति कानून: बेटियों को पिता की जमीन में बराबर हक
2025 का नया संपत्ति कानून: बेटियों को पिता की जमीन में बराबर हक
बेटियों के लिए नया संपत्ति कानून – 2025
-
बेटियों को बराबर का हक
-
अब बेटियों को पिता की पैतृक (ancestral) जमीन, घर, खेती या अन्य संपत्ति में बराबर का हिस्सा मिलेगा।
-
यह हक बेटी की शादी से पहले और शादी के बाद दोनों समय लागू होता है।
-
सुप्रीम कोर्ट के 2025 के फैसले के अनुसार: “Once a daughter, always a daughter” – यानी बेटी हमेशा पिता की संपत्ति की वारिस रहेगी।
-
कानून का आधार
-
यह नियम Hindu Succession Act, 1956 में 2005 के संशोधन पर आधारित है।
-
बेटा और बेटी दोनों को Co-parcener माना जाता है, यानी जन्म से ही पैतृक संपत्ति में बराबर हकदार।
-
अब पिता अपनी पैतृक संपत्ति केवल एक बेटे के नाम नहीं कर सकता।
-
-
संपत्ति के प्रकार
-
पैतृक संपत्ति (Ancestral Property): परिवार में कई पीढ़ियों से चली आ रही संपत्ति। इसमें सभी वारिस बराबर हिस्सेदार होते हैं।
-
स्व-अर्जित संपत्ति (Self-Acquired Property): व्यक्ति ने अपनी मेहनत से कमाई या खरीदी।
-
इस पर पिता वसीयत (Will) के जरिए किसी एक को दे सकते हैं।
-
वसीयत नहीं बनाई गई तो स्व-अर्जित संपत्ति भी सभी बच्चों में बराबर बंटी।
-
-
-
वसीयत का महत्व
-
अगर पिता चाहते हैं कि उनकी संपत्ति केवल किसी एक बच्चे को मिले, तो कानूनी वसीयत बनानी होगी।
-
बिना वसीयत के सभी बच्चों को बराबर हिस्सा मिलेगा।
-
-
शादीशुदा बेटियों का हक
-
बेटी की शादी संपत्ति के अधिकार को प्रभावित नहीं करती।
-
अब बेटियों को अपने हक़ के लिए अलग से कानूनी कार्रवाई की जरूरत नहीं।
-
-
विवाद निपटान
-
संपत्ति विवादों को ऑनलाइन और डिजिटल माध्यम से तेजी से सुलझाने की व्यवस्था।
-
राज्य सरकारें “e-Court” जैसी प्रणाली से मामले ऑनलाइन निपटा रही हैं।
-
निष्कर्ष
2025 का नया कानून बेटियों को बराबरी और सम्मान देता है।
-
पिता अपनी पैतृक संपत्ति केवल बेटे को नहीं दे सकते।
-
बेटी चाहे विवाहित हो या अविवाहित, उसे बराबर अधिकार मिलेगा।
-
यह कानून परिवारों में न्याय और समानता बढ़ाएगा।
ठीक है! यहाँ 2025 के नए संपत्ति कानून को आसान चार्ट/टेबल में समझाया गया है:
| बिंदु | विवरण |
|---|---|
| कौन है हकदार | बेटा और बेटी दोनों बराबर हिस्सेदार (Co-parcener)। |
| पैतृक संपत्ति (Ancestral Property) | परिवार में कई पीढ़ियों से चली आ रही संपत्ति। बेटा और बेटी दोनों को जन्म से बराबर हक। |
| स्व-अर्जित संपत्ति (Self-Acquired Property) | पिता ने अपनी मेहनत से खरीदी। वसीयत के बिना, सभी बच्चों में बराबर बंटी। वसीयत होने पर पिता जिसे चाहें दे सकते हैं। |
| शादीशुदा बेटियों का हक | बेटी की शादी संपत्ति के अधिकार को प्रभावित नहीं करती। “Once a daughter, always a daughter” लागू। |
| वसीयत (Will) | यदि कोई पिता केवल एक बच्चे को संपत्ति देना चाहता है तो कानूनी वसीयत जरूरी। |
| विवाद निपटान | डिजिटल माध्यम से ऑनलाइन (e-Court) विवाद सुलझाने की सुविधा। |
| महत्व | बेटियों को बराबरी और सम्मान। पिता अब केवल बेटे को संपत्ति नहीं दे सकते |
