Name Of Post : राजस्थान अंता उपचुनाव: भाजपा के टिकट पर सस्पेंस बरकरार, राजे दरबार में लिखी जा रही है विजयी चेहरा की स्क्रिप्ट
राजस्थान अंता उपचुनाव: भाजपा के टिकट पर सस्पेंस बरकरार, राजे दरबार में लिखी जा रही है विजयी चेहरा की स्क्रिप्ट
राजस्थान की अंता सीट से कौन होगा BJP का चेहरा?
भाजपा के टिकट की स्क्रिप्ट लिखी जा रही है राजे दरबार में
राजस्थान की सियासत में इन दिनों एक ही सवाल हवा में तैर रहा है — भाजपा अंता से किसे उतारेगी?
कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद जैन भाया पहले ही मैदान में उतर चुके हैं, जबकि निर्दलीय नरेश मीणा ने नामांकन दाखिल कर अपनी दमदारी दिखा दी है। अब सबकी निगाहें टिकी हैं भाजपा के “गुप्त पत्ते” पर। कहा जा रहा है कि पार्टी ने नाम लगभग तय कर लिया है, पर ऐलान का सस्पेंस अभी बरकरार है। यही सस्पेंस अंता की राजनीति को और दिलचस्प बना रहा है — मानो शतरंज का खेल, जिसमें हर चाल सोच-समझकर चलनी है।
राजे के दरबार में टिकट की पटकथा
सूत्रों के अनुसार, पूर्व संसदीय सचिव नरेंद्र नागर और पूर्व जिला प्रमुख नंदलाल सुमन के नाम पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने सहमति जताई है। इन दोनों में से किसी एक को टिकट मिलने की संभावना है, जिनमें नरेंद्र नागर को सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा है।
जयपुर के 13 सिविल लाइंस स्थित राजे के आवास पर पिछले दो दिनों से सियासी ट्रैफिक तेज़ है।
पूर्व जिला प्रमुख नंदलाल सुमन अपने समर्थकों के साथ पहुंचे — हाथ में गुलदस्ता, मन में उम्मीद और आंखों में टिकट का सपना। कहा जा रहा है कि नंदलाल अकेले नहीं हैं, तीन और नेता भी लगातार राजे से संपर्क में हैं।
राजे फिलहाल चुप हैं, लेकिन उनका घर “टिकट चर्चा का सेंटर” बन चुका है।
उन्होंने भले ही कहा हो — “निर्णय पार्टी और मुख्यमंत्री का होगा, हम सिर्फ पालन करेंगे”, लेकिन सियासी गलियारों में यह बयान “राजे की रणनीतिक चुप्पी” माना जा रहा है।
दावेदारी में भीड़, संकेत अलग
अंता उपचुनाव को लेकर भाजपा में घमासान चरम पर है।
नरेंद्र नागर, प्रभुलाल सैनी, नंदलाल सुमन, आनंद गर्ग, और प्रखर कौशल – ये पांच नाम दावेदारी में हैं।
हर कोई टिकट की दौड़ में अपनी ताकत आज़मा रहा है, लेकिन संकेत कुछ और ही कह रहे हैं।
पार्टी का रुझान इस बार भी स्थानीय चेहरे की बजाय बाहरी उम्मीदवार पर दांव खेलने का दिख रहा है।
क्यों आगे हैं नरेंद्र नागर?
नरेंद्र नागर न केवल हाड़ौती क्षेत्र में साफ-सुथरी छवि वाले नेता हैं, बल्कि धाकड़ समाज के प्रभावशाली प्रतिनिधि भी माने जाते हैं।
सूत्रों का कहना है कि वसुंधरा राजे खुद उनके नाम को आगे बढ़ा सकती हैं, क्योंकि वे राजे के विश्वसनीय और करीबी नेताओं में गिने जाते हैं।
राजे की हाड़ौती में गहरी पकड़ और नागर का संगठनात्मक तालमेल उन्हें स्वाभाविक बढ़त देता है।
साथ ही उनकी संघ पृष्ठभूमि मजबूत है, जिससे संगठन की ओर से भी कोई आपत्ति नहीं दिख रही।
दूसरी ओर, प्रभुलाल सैनी के समीकरण कमजोर पड़ते नजर आ रहे हैं।
पार्टी इस बार नई ऊर्जा और स्वच्छ छवि वाले उम्मीदवार की तलाश में है, और इन कसौटियों पर फिलहाल नरेंद्र नागर फिट बैठते हैं।
ऐलान बस बाकी
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने मंगलवार को स्पष्ट कहा —
“निर्णय हो गया है, आज या कल नाम आ जाएगा।”
यानी कि सब तय है, बस औपचारिक घोषणा का इंतज़ार है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक शीर्ष नेतृत्व ने “विजयी चेहरा” चुन लिया है, बस सही टाइमिंग की प्रतीक्षा है।
नरेश मीणा का “इमोशनल पावर शो”
इस बीच निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने नामांकन दाखिल कर सियासी समीकरणों में हलचल मचा दी है।
उनकी नामांकन रैली में पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा खुद मौजूद रहे, मंच से नारे लगवाए और जनता से जुड़ाव दिखाया।
मीणा ने नामांकन के बाद दंडवत प्रणाम कर जनता से समर्थन मांगा — यह दृश्य अंता की जनता के दिलों को छू गया।
कांग्रेस से टिकट न मिलने के बाद उनका यह कदम भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए नई चुनौती बन गया है।
भाजपा के लिए साख की लड़ाई
अंता उपचुनाव भाजपा के लिए सिर्फ एक सीट नहीं, बल्कि राजनीतिक साख का सवाल बन गया है।
राजे कैंप और संगठन कैंप – दोनों को अब एक सुर में आना होगा।
राजे का प्रभाव इस क्षेत्र में गहरा है, जबकि संगठन “नई टीम, नई सोच” का संदेश देना चाहता है।
यानी भीतरखाने में अनुभव बनाम प्रयोग की साइलेंट जंग चल रही है।
अब सबकी निगाहें टिकी हैं —
पार्टी मुख्यालय और 13 सिविल लाइंस दोनों पर।
मदन राठौड़ और भजनलाल शर्मा के बीच लगातार चर्चा जारी है, जबकि राजे के दरबार में दावेदारों की कतारें लंबी होती जा रही हैं।