Name Of Post : ITR Deadline Extension 2025: हाईकोर्ट ने बढ़ाई ITR फाइलिंग की अंतिम तिथि, टैक्सपेयर्स को मिली 1 महीने की बड़ी राहत
ITR Deadline Extension 2025: हाईकोर्ट ने बढ़ाई ITR फाइलिंग की अंतिम तिथि, टैक्सपेयर्स को मिली 1 महीने की बड़ी राहत
💥 टैक्सपेयर्स के लिए खुशखबरी: हाईकोर्ट ने बढ़ाई ITR फाइल करने की अंतिम तिथि | ITR Deadline Extension 2025
आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करने की तैयारी में जुटे टैक्सपेयर्स के लिए बड़ी राहत की खबर आई है।
पंजाब-हरियाणा और हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने टैक्स ऑडिट वाले मामलों में ITR फाइलिंग की अंतिम तिथि को 31 अक्टूबर 2025 से बढ़ाकर 30 नवंबर 2025 करने का आदेश दिया है।
यह फैसला उन लाखों करदाताओं के लिए राहत लेकर आया है जो ऑडिट रिपोर्ट तैयार कराने और रिटर्न फाइल करने में समय की कमी से परेशान थे।
⚖️ हाईकोर्ट ने यह फैसला क्यों लिया?
यह निर्णय टैक्स प्रोफेशनल्स, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और टैक्स एसोसिएशनों द्वारा दायर याचिकाओं के बाद लिया गया है।
इन याचिकाओं में कहा गया था कि टैक्स ऑडिट रिपोर्ट (TAR) और ITR फाइलिंग की समय सीमा में पर्याप्त अंतर नहीं होता, जिससे करदाताओं पर अत्यधिक दबाव पड़ता है।
कोर्ट ने माना कि टैक्स ऑडिट रिपोर्ट और ITR फाइलिंग के बीच कम से कम एक महीने का अंतर होना जरूरी है, ताकि प्रक्रिया सुचारु रूप से पूरी हो सके।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि CBDT को इस आदेश का पालन अनिवार्य रूप से करना होगा, अन्यथा इसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा।
👥 किन टैक्सपेयर्स को मिलेगा फायदा?
यह राहत उन सभी टैक्सपेयर्स को मिलेगी जिनके खातों का टैक्स ऑडिट अनिवार्य होता है, जैसे:
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कंपनियां (Companies)
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प्रोप्राइटरशिप फर्म (Proprietorship Firms)
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पार्टनरशिप फर्म (Partnership Firms) और उनके वर्किंग पार्टनर
अब इन संस्थाओं को एक माह का अतिरिक्त समय मिलेगा, जिससे वे बिना जल्दबाजी के अपने टैक्स दस्तावेजों की जांच और फाइलिंग पूरी कर सकेंगे।
📊 टैक्स ऑडिट रिपोर्ट और ITR में अंतर क्या है?
| बिंदु | टैक्स ऑडिट रिपोर्ट (TAR) | आयकर रिटर्न (ITR) |
|---|---|---|
| तैयार करने वाला | चार्टर्ड अकाउंटेंट | करदाता स्वयं |
| उद्देश्य | वित्तीय स्थिति, खर्च और आय का विवरण देना | सरकार को आय और टैक्स का विवरण देना |
| महत्व | ITR फाइलिंग से पहले आवश्यक | अंतिम कर विवरण जमा करना |
पहले दोनों डेडलाइन में बहुत कम अंतर होता था, जिससे काम में दबाव बढ़ता था।
अब इस फैसले के बाद TAR जमा करने के बाद ITR फाइल करने के लिए पूरा एक महीना मिलेगा।
⚖️ अन्य हाईकोर्ट्स में भी सुनवाई जारी
दिल्ली हाईकोर्ट में भी इसी मुद्दे पर याचिका दायर की गई है।
टैक्स प्रोफेशनल्स की मांग है कि दिल्ली समेत अन्य राज्यों में भी यही राहत दी जाए, ताकि पूरे देश में एक समान नियम लागू हो सके।
उम्मीद है कि आने वाले समय में दिल्ली और अन्य राज्यों की अदालतें भी ITR डेडलाइन बढ़ाने पर सकारात्मक फैसला दे सकती हैं।
💸 ITR लेट फाइल करने पर क्या होगा असर?
अगर कोई करदाता तय समय सीमा में ITR फाइल नहीं करता तो उसे:
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धारा 234A और 234F के तहत ब्याज और जुर्माना देना पड़ता है।
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देर से रिटर्न फाइल करने पर केवल Updated Return (Section 139(8A)) ही दाखिल किया जा सकता है, जिस पर अतिरिक्त ब्याज और पेनाल्टी देनी होती है।
अब हाईकोर्ट द्वारा दी गई एक महीने की अतिरिक्त मोहलत से टैक्सपेयर्स को लेट फाइलिंग और पेनाल्टी से राहत मिलेगी।
👨💼 टैक्स प्रोफेशनल्स और फर्म्स की प्रतिक्रिया
चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और टैक्स प्रोफेशनल्स ने इस फैसले का स्वागत किया है।
उनका कहना है कि टैक्स ऑडिट रिपोर्ट तैयार करना एक तकनीकी और समय लेने वाली प्रक्रिया है।
डेडलाइन करीब होने के कारण गलतियों की संभावना बढ़ जाती है।
हाईकोर्ट का यह निर्णय व्यावहारिक और न्यायसंगत माना जा रहा है जो करदाताओं और पेशेवरों दोनों के लिए फायदेमंद है।
🏛️ CBDT को मिला बड़ा निर्देश
कोर्ट ने CBDT से कहा है कि वह अपने दिशा-निर्देशों और अधिसूचनाओं में इस विस्तार को शामिल करे।
अगर विभाग कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं करता, तो यह कोर्ट की अवमानना मानी जाएगी।
यह दिखाता है कि अदालत टैक्सपेयर्स के हितों की रक्षा को लेकर गंभीर है।
✅ टैक्सपेयर्स को क्या करना चाहिए?
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अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट से संपर्क करें और टैक्स ऑडिट रिपोर्ट जल्द पूरी कराएं।
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सभी डिजिटल सिग्नेचर और डॉक्युमेंट्स अपडेट रखें।
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ITR पोर्टल पर नियमित लॉगिन करें और नई अधिसूचनाओं पर नजर रखें।
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समय पर रिपोर्ट पूरी करें ताकि 30 नवंबर से पहले रिटर्न आसानी से फाइल हो सके।
🔔 निष्कर्ष
पंजाब-हरियाणा और हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का यह फैसला टैक्सपेयर्स के लिए एक बड़ी राहत है।
अब टैक्स ऑडिट वाले मामलों में ITR फाइलिंग की अंतिम तिथि 30 नवंबर 2025 हो गई है।
यह कदम न केवल पारदर्शिता बढ़ाएगा, बल्कि टैक्स सिस्टम में पेशेवरों और करदाताओं दोनों का विश्वास भी मजबूत करेगा।
उम्मीद है कि आने वाले समय में अन्य हाईकोर्ट्स भी इसी दिशा में फैसले देंगे, जिससे पूरे देश में समान राहत मिलेगी।
