Name Of Post : संविदा कर्मचारियों को बड़ी राहत: हाईकोर्ट ने नियमित करने का रास्ता साफ किया
संविदा कर्मचारियों को बड़ी राहत: हाईकोर्ट ने नियमित करने का रास्ता साफ किया
संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का रास्ता साफ – हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
Contract Employees Regularization
भारत में शिक्षा के क्षेत्र में संविदा (Contract) पर कार्यरत हजारों शिक्षकों के लिए एक बड़ी राहत की खबर आई है। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण और इतिहास रचने वाला निर्णय सुनाया है। इस फैसले के अनुसार, सर्व शिक्षा अभियान (SSA) के तहत दो दशक से अधिक समय से कार्यरत शिक्षकों को अब नियमित (Permanent) किया जाना चाहिए। यह फैसला न केवल इन शिक्षकों की लंबी लड़ाई को न्याय देता है, बल्कि पूरे देश में संविदा आधार पर काम कर रहे लाखों कर्मचारियों के लिए उम्मीद की नई किरण है।
न्यायालय का महत्वपूर्ण आदेश
माननीय न्यायमूर्ति जगमोहन बंसल की एकल पीठ ने स्पष्ट कहा कि जो शिक्षक लंबे समय से SSA के अंतर्गत निष्ठापूर्वक सेवा दे रहे हैं, उन्हें स्थायी किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने यह भी कहा कि:
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इन शिक्षकों की भर्ती पूरी तरह पारदर्शी थी।
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चयन प्रक्रिया कानूनी थी।
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सिर्फ संविदा बेसिस पर उन्हें इतने वर्षों तक रखना अन्याय है।
भर्ती प्रक्रिया की वैधता पर जोर
उच्च न्यायालय ने यह माना कि SSA के शिक्षक किसी भी अनियमित प्रक्रिया से नियुक्त नहीं किए गए थे।
इनकी भर्ती में शामिल था—
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विज्ञापन के आधार पर आवेदन
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लिखित परीक्षा
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साक्षात्कार
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चिकित्सा परीक्षण
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योग्यता मानदंडों का पालन
इतनी पारदर्शी प्रक्रिया से चयनित कर्मचारियों को 15–20 साल तक अस्थायी रखे रखना अदालत के अनुसार बिल्कुल अनुचित है।
सरकार के तर्क को खारिज किया गया
केंद्र सरकार ने अदालत में तर्क दिया कि उमा देवी केस के अनुसार संविदा कर्मचारियों को नियमित नहीं किया जा सकता।
लेकिन कोर्ट ने साफ कहा:
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उमा देवी केस उन नियुक्तियों पर लागू होता है जो अनियमित या बैकडोर से हुई हों।
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SSA शिक्षक पूरी तरह नियमों के तहत नियुक्त हुए हैं।
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इसलिए यह तर्क अप्रासंगिक है।
वर्तमान मामले की विशिष्टता
यह मामला अलग है क्योंकि:
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नियुक्ति प्रक्रिया 100% वैध थी
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शिक्षक प्रतियोगी परीक्षाओं से चुने गए
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सभी आवश्यक योग्यताओं का पालन हुआ
इसलिए उमा देवी केस को इनके नियमितीकरण में बाधा बनाना अदालत ने गलत बताया।
दो दशकों की समर्पित सेवा का सम्मान
अदालत ने जोर दिया कि:
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कई शिक्षक 20+ साल से सरकारी स्कूलों में कार्यरत हैं
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ये सभी नियमित शिक्षकों जैसा काम कर रहे हैं
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कक्षाएं लेना
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प्रशासनिक जिम्मेदारियां
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विद्यालय संचालन में योगदान
इतने लंबे समय की सेवा के बावजूद इन्हें ‘संविदा कर्मचारी’ कहना अन्याय है।
संवैधानिक अधिकारों का संरक्षण
अदालत ने कहा:
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किसी भी कर्मचारी को अनिश्चित काल तक संविदा पर रखना अवैध और असंवैधानिक है
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यह उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है
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नौकरी की सुरक्षा प्रत्येक कर्मचारी का अधिकार है
प्रशासन की जिम्मेदारी
कोर्ट ने यह भी बताया:
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चंडीगढ़ प्रशासन ने कई बार केंद्र को शिक्षकों को नियमित करने का प्रस्ताव भेजा
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हर बार प्रस्ताव खारिज कर दिया गया
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यह कार्रवाई अनुचित है
कोर्ट ने कहा कि योग्य और नियमों के तहत नियुक्त कर्मचारियों को नियमित करना प्रशासन का नैतिक और कानूनी दायित्व है।
कौन-कौन होंगे नियमित?
फैसले के अनुसार:
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वे सभी शिक्षक
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जिन्होंने 10 वर्ष या उससे अधिक की सेवा की है
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जिनकी नियुक्ति SSA के तहत वैध प्रक्रिया से हुई है
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सभी पर यह आदेश समान रूप से लागू होगा।
यदि प्रशासन समयसीमा में पालन नहीं करेगा,
➡ तो सभी पात्र शिक्षक स्वतः नियमित माने जाएंगे।
फैसले का देशव्यापी प्रभाव
यह निर्णय:
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केवल पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के SSA शिक्षकों के लिए ही नहीं
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बल्कि देशभर के संविदा कर्मचारियों के लिए नई उम्मीद है
विशेषज्ञों का मानना है कि:
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यह फैसला दूसरे राज्यों में भी नियमितीकरण की मांग को मजबूती देगा
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संविदा कर्मचारियों की स्थिति पूरे देश में बदल सकती है
निष्कर्ष: एक मील का पत्थर निर्णय
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का यह फैसला:
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न्यायपालिका की संवेदनशीलता को दर्शाता है
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समर्पित कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करता है
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शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में मदद करेगा
