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Name Of Post : OPS बहाली पर हाईकोर्ट सख्त: छह सप्ताह में सरकार से जवाब तलब, पुरानी पेंशन लौटने की उम्मीद तेज

OPS बहाली पर हाईकोर्ट सख्त: छह सप्ताह में सरकार से जवाब तलब, पुरानी पेंशन लौटने की उम्मीद तेज

 हाल ही में Allahabad High Court (प्रयागराज) ने आदेश दिया है कि उत्तर प्रदेश सरकार को उस “शासनादेश” पर — जिसमें कुछ कर्मचारियों को OPS में शामिल करने का प्रावधान था — छह सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करना होगा। 

इस आदेश की पृष्ठभूमि: कुछ एलोपैथिक फार्मासिस्टों ने याचिका दायर की थी। उनका कहना है कि उनका विज्ञापन 28 मार्च 2005 से पहले था, लेकिन नियुक्ति (service-onset) बाद में हुई — फिर भी उन्हें OPS का लाभ नहीं मिला। उन्होंने 28 जून 2024 के शासनादेश (पैराग्राफ 2 और 4) को चुनौती दी थी। 



कोर्ट ने माना कि इस मामले में न्यायिक समीक्षा आवश्यक है, इसलिए सरकार को 6 सप्ताह में “प्रतिशपथ पत्र / जवाब” पेश करने का निर्देश दिया। 

⚠️ क्यों बना विवाद


याचियों का तर्क है कि विभागीय ग़लती (selection/prioritization में त्रुटि) के कारण मेरिट सूची में शामिल थे, फिर भी नियुक्ति नहीं हुई — और इस वजह से उन्हें OPS में शामिल नहीं किया गया। उन्हें लगता है कि यह अन्याय है। 


28 जून 2024 के शासनादेश में, यह स्पष्ट नहीं है कि पूर्व विज्ञापन लेकिन बाद में नियुक्त कर्मचारियों को कैसे कवर किया गया है — उस अस्पष्टता की वजह से ही विवाद उठा। 


✅ पिछली पेंशन व्यवस्था (OPS) क्यों महत्वपूर्ण

OPS (Old Pension Scheme) में पेंशन पक्का और निश्चित होती थी — यानी कर्मचारी को सेवानिवृति के बाद जीवनभर पेंशन मिलती थी (आखिरी वेतन के आधार पर), जबकि बाद में लागू हुई नई पेंशन प्रणाली (NPS) में भविष्य निधि + निवेश-रिटर्न का मॉडल है, जिसमें जोखिम रहता है। 


इसलिए कई कर्मचारी चाहते हैं कि अगर उनके भर्ती विज्ञापन समय पर हुए थे, उन्हें OPS का लाभ मिले — भले ही सेवा प्रारंभ NPS लागू होने के बाद हुई हो।


📌 इस फैसले का क्या असर हो सकता है


अगर कोर्ट सरकार का जवाब मांगी गई अवधि में नहीं या असंतोषजनक पाए, तो याचिकाकर्ताओं को OPS में शामिल करना पड़ सकता है — साथ ही भविष्य में इसी तरह के कई कर्मचारी भी लाभ उठा सकेंगे।

यह केवल फार्मासिस्टों का मामला नहीं — अन्य कर्मचारी भी जिनको लगा हो कि भर्ती या नियुक्ति के समय कोई ग़लत नियोजन हुआ — वे भी याचिका दायर कर सकते हैं।

इससे राज्य सरकारों की पेंशन-वित्तीय जिम्मेदारी बढ़ सकती है, क्योंकि OPS में पेंशन गारंटीड होती है। 


🧑‍🏛️ अन्य राज्यों व हाल की घटनाएँ


2025 में, कई कर्मचारी संगठन एवं अदालतों ने OPS बहाली की मांग तेज कर दी है। 

उदाहरण के लिए, हरियाणा में भी शिक्षकों की याचिका पर कोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है। 

वहीं, कुछ राज्यों में — जैसे Rajasthan Government — वित्त विभाग ने बोर्ड, निगम व विश्वविद्यालयों से जुड़े कर्मचारियों के लिए OPS जारी रखने / लागू करने संबंधी सर्कुलर जारी किया है। 


📝 निष्कर्ष


इस फैसले का मतलब है कि OPS से वंचित रहे कई कर्मचारियों के लिए “पेंशन” का एक स्थायी अधिकार फिर से खुल सकता है — बशर्ते कोर्ट उनका पक्ष मांगे गए जवाबों के आधार पर स्वीकार करे। 6 हफ्ते में सरकार की प्रतिक्रिया आएगी, और उसके बाद ही साफ हो जाएगा कि यह शासनादेश कितने कर्मचारियों के लिए असरदार साबित होगा।